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प्रदेशी राजाने सविनय सम्पत्त्व मूल ब्रतोंकों धारण कर अपने सातार जानेको तैयार हूवे । . देशीस्वामि बोले कि हे प्रदेशी राजा आप जानते हों कि गाचार्य कितने प्रकार के होते है ?
हां भगवन् म्है जानता हु आचार्य तीन प्रकार के होते है (१) कलाचार्य (२) शिल्पाचार्य (३) धर्माचार्य । ___ हे राजन् इन्ही तीनों आचार्योंका बहु मान केसे किये जाते है वह भी आप जानते है।
हां भगवन् म्है जानता हु कि कलाचार्य और शिल्पाचार्यकों द्रव्य वस्त्र भूषण माला भोजनादिसे सत्कार किया जाता है और धर्माचार्यकों वन्दन नमस्कार सेवा भक्तिसे सत्कार किया जाता है।
हे राजन् आप इस बातकों जानते हुवे मेरे साथमे प्रतिकुल वरताव कराथा उन्होंकों वगर क्षमत्क्षामना और वन्दन किये ही “जानेकि तैयार करती है। ___हे भगवान् म्है इन्हीं बातको ठीक ठीक जानता हूं परन्तु यहाँ पर क्षमत्क्षमन और वन्दना आदि करनेसे म्है ही जानुगा परन्तु मेरा इरादा है कि कल सूर्योदय म्है मेरे अन्तेवर पुत्र उमराव और च्यार प्रकारकी शैन्य लेके बड़े ही उत्सवके साथ आपकों वन्दन करनेको भाउगा और वन्दन करूंगा। : यह सुनके केशीश्रमण भगवानने मौन व्रतको ही स्वीकार बोला था क्युकी इस कार्यमें साधुवों को हां या ना नहीं केहना
- दुसरे दिन राजा प्रदेशी अपने सर्व कुटुम्ब और च्यार प्रकार