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(४५) शरीर रूपी नावापरारूढ हुवा है वह संसार- समुद्रसे तीरके. पार हो जाता है । हे भगवान् म्है छेद्र रहीत नावापरारूढ होता इस ही समुद्रतिर रहा हु।
हे गौतम यह उत्तर तो आपने ठीक युक्ति सर पाया परन्तु एक प्रश्न मुझे और मी करना है।
हे स्वामिन् आप कृपा कर फरमावे ।
(११) प्रश्न हे-गौतम इस भयंकार संसारके अन्दर घौरोनधौर अन्धकार फेल रहा है जिसके अन्दर बहुतसे पाणीयों इदरके उदर धके खाते भ्रमण कर रहे हैं उन्होंको रस्ता तक भी नहीं मीकता हैं तो हे गौतम इन्ही अन्धकारमें उद्योत कोन करेगा क्या यह बात आप जानते हो ? ___(उत्तर) हे भगवान-इन्ही घौर अन्धकार के अन्दर उद्योत करनेवाला एक सूर्य है उन्ही सूर्य प्रकाश होनेसे अन्धकारका नाश हो जाता है तब उदर इधर भ्रमन करनेवालोको ठीक रस्ता मानम हो जायगा।
(4) हे गौतम-अन्धकार कोनसा और उद्योत करनेवाला सूर्य कोनसा ?
(3.) हे भगवान इस आरापार लोकके अंदर मिथ्यात्वरूपी घोर अंधकार है जीस्मे. पामर प्राणीयों अन्धा होके इदर उधर भ्रमण करते है परन्तु जब तीर्थकररूपी. सूर्य केवलज्ञान रूपी प्रकाशमें भव्यात्मावोंको सम्यग्दर्शन. रूप अच्छा सुंदर रहस्ता मीबजावेगा उन्ही रहस्तेसे सीधा स्वस्थान पहुंच मानेगा। यह उबर मुनके देवादि परिषदा प्रभचिंत हो रही थी।
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