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(६७) प्रकाश भी कम पडेगा और उन्हीसे ही कम ढक होगा तो प्रकाश भी कम पडेगा अर्थात् जीतना ढक होगा उतना ही प्रकाश पडेगा नात्पर्य यह हुवा कि । दीपकमें प्रकाश है परन्तु उपरके ढक झोगा उतना ही विस्तारमें प्रकाश पडेगा दीपक माफीक नीव है और ढक माफीक नाम कर्मोदय शरीर मीला है जीतना शरीर होगा उतनेमें जीव समावेस हो जायगा इसीमें-कर्मों के अनुस्वार शरीरकी ही न्युनाधिकता है वास्ते समझके मान लो कि जीव काय अलग अलग है।
(१०) प्रश्न-हे भगवान् आपकों युक्तियों बहुत ही आति है और युक्तिपूर्वक आपका केहना ही सत्य है परन्तु मेरे बाप दादोंसे चले आये धर्मको म्है किस्तरेसे त्यागन करू मुझे लोक जया कहेगा ?
(उत्तर) हे रानन्-आपने लोहा वाणीयाका दष्टांत सुना है ! नही भगवान मेने लोहाबाणीयाका द्रष्ठांत नहीं सुना है ! हे राजन् लो अब सुनों ! एक नगरसे बहुतसे वेपारी लोक द्रव्यार्थी गाडोंमें कीरयाणों लेके विदेशको रवाने हुवे जिस्मे एक लोहा वाणीया भी था " आगे चलते एक लोहाकि खान आई तब सर्व चपारी लेको लोहाकों ले लीये, आगे चलने पर एक तांबाकि खान भाइ सब लोकोंने लोहाको छोडके तांबाको ले लीया और अपने साथ चलनेवाला" लोहा वाणीयाकों, भी कहे दीया कि हे भाई यह सांबा लोहासे अधिक मूल्य वाला है । वास्ते लोहाको छोडके तुम भी इस तांबाको ले लो । लोहा वाणीयांने उत्तर दीया कि एकको छोड़े और दूसरेको महन कोन करे खेर । बागे चलने पर चान्द्री कि