________________ प्रस्तावना। प्यारे वाचक वृन्दों। शीघ्रबोध भाग 1-2-3-4-5-6-7-8-9-1011-12-13-14 आप लोगोंकि सेवामें पहुंच चुका है / आज यह 15 वां भाग आपके कर कमलों में ही उपस्थित है। इन्ही 15 वा भागके अन्दर पूर्व महाऋषियों ,स्वआत्म-कल्याण और पर आत्मावोंपर उपकार करनेके लिये तथा आत्मसत्ता प्रगट करनेवाले महात्वके प्रश्न तथा प्रश्नोके उत्तर सिद्धान्तोद्वारे शकलित किये थे। उन्होंकों सुगमताके साथ हरेक मोक्षाभिलाषीयोंके सुख सुख पूर्वक समझमें आशके इस हेतुसे मूलसूत्रोंसे भाषान्तर कर आप कि सेवामें यह लघु किताब भेजी जाती है आशा है कि आप लोग इस आत्म कल्याणमय प्रश्नोत्तर पढ़के पूर्व महाऋषियोंके उदेशको सफल करोगे शम् /