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ईन्होंसे. ब्रह्मचर्य व्रतकी विशुद्धता करते हुवे जीव अष्ट कर्मोकी गंठीको छेदके मोक्ष जाते है ?
(३२) प्रश्न-विषय कषायसे विरक्त होनेसे क्या फल होता है ?
(उ.) विषय कषायसे विरक्त होनेसे जीव पाप कर्म नहीं करते है इन्होंसे अध्यवशाय रूपी शस्त्र तीक्ष होते है । उन्होंसे च्यारगतिरूप विष वेलीको तत्काल छेदके संसारसे विमुक्त हो भाते हैं।
(१३) प्रश्न-संभोग-साधुवोंके तथा साध्वियोंके आपसमें वस्त्रपात्र वाचना आहार पाणी बादि लेने देनेका समोम होता है उन्होका त्याग करनेसे जीवोंको क्या फल होता है ।
(उ०) संभोगका त्याग करनेसे जीव अवलम्बन ( आसा) का क्षय करता है अर्थात् संभोग होनेसे एक दूसरेकी साहिताकी मासा करते है और त्याग करनेसे आप निरालम्बन होजाते है। निरालम्बन होनासे अपनी स्व सत्तापर ही कार्य करनेमें पुरुषार्थ करते है और अपना ही लाभमें संतुष्ट रहते हुवे दुसरी मुख शय्या: का माराधन करते हुवे सिंहकी माफीक विचरे । .
(३४) प्रश्न-औपधिवस्त्र पात्रादिका त्याग करनेसे क्या फल होना है। ... (उ) औपधिके त्याग करनेसे "अपलिमत्थ" अर्थात औपधि है वह संयमका पलिमंत्थ हैं कारण औपधि रखनेसे उन्होंको देखना संरक्षन करनादि अनेक विकल्प करना पडता है उन्होंसे निवृति