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(१८) (उ०) कोमरता होनेसे जीव मान रहित होता है मान रहित होनेपर उहतता दूर होती है इन्होंसे जीव अष्ट प्रकारे जो दम है उन्होंसे हमेश दुर रेहता है इसीसे भवान्तरमें उच्च जाति कुलमें उत्पन्न होता हुवा सम्यक् ज्ञानादिकों प्राप्ती कर स्वकार्य साधन करेता हुवा विचरेगा।
(४९) प्रश्न-अर्जव-माया रहीत होनेसे जीवों को क्या कल होता है।
(उ०) मायारहित होनेसे भावका सरल भाषाका सरल कायाका सरलपना होता है इन्हों से योग ( मनवचन काया ) अवि संवाद (समाधि) पने रेहता है एसा होनेसे त्रिवेद नपुंसक वेद नही बन्धता है । भवान्तरमें सम्यक्त्वकी प्राप्ती होते ही कर्म शल्यको निकाल अवस्थित स्थान स्वीकार करेगा।
(५०) प्रश्न-भाव सत्य होनेसे जीवोंको क्या फल होता है।
(उ०) भाव सत्य होनेसे जीवों का अन्तःकरण विशुद्ध होता है अन्तःकरण विशुद्ध प्रवृति करते हुवे अरिहंत धर्मका आराधन करनेकों सावधान होगा एसे होनेसे भवान्तरमें भी चरित्र धर्मका भाराधीक होगा।
(५१) प्रश्न-किरण सत्य होनेसे क्या फल होता है ?
(उ०) करण सत्य होनेसे जीव जेसे मुहसे केहते है वेप्साही कार्य करके वतला देते है जेसे प्रतिलेखनादि क्रिया कहे उसी मुतावीक करते भी है। "(५२) प्रश्न-योग सत्य होनेसे जीरोंकों क्या फल होता है। (उ०) योग (मनवचनकाया) सत्य होनेसे जीवोंके योगोंकि