________________
( २० )
यादिके अन्दर स्थापन करनेसे क्या फल होता हैं ?
( उ० ) वचन • मर्यादाको जनने वाला होता है मर्यादाको जानने से जीवदर्शनको विशुद्ध करता है । दर्शन विशुद्ध होनेसे दुर्लभपनेका नास करता हुवा सुलभ बोधीपना उपार्जन करता है।
(१८) प्रश्न- काया के अयत्न आदि दोषों को दुर कर व्यावचादिकमे स्थापन करनेसे क्या फल होता है ।
( उ० ) काया ० इन्होंले चरित्र पर्यवकों विशुद्ध करता है चरित्र पर्यव विशुद्ध होनेसे जीव यथाक्षात चरित्र कि आराधना करते है इन्होंसे वेदनिया में आयुष्यकर्म नामकर्म गोत्रकमक क्षय कर मोक्ष जाता है ।
(५९) प्रश्न- अज्ञानकों नष्टकर ज्ञाम संपन्न होनेसे क्या फल होता है ?
( उ० ) ज्ञानसंपन्न होने से जीव जीवादि पदार्थकों यथावत समझे यथावत् समझने से जीव संसार भ्रमनका नाम करे जेसे सूतके डोरा सहित सुइ होनेसे फीरसे हस्तगत हो शक्ती है इसी माफीक ज्ञान सहित जीव कभी संसारमे रेहता होतों भी कभी मोक्ष जाशकता है । अर्थात् ज्ञानवन्त जीव संसार मे विनास पांमे बहीं और ज्ञानसे विनय व्ययावच्च तप संयम समाधी क्षमादि अनेक गुप्पोंकी प्राप्ती ज्ञानसे होती है ज्ञानी स्वसमय पर समयका ज्ञाता होनेसे अनेक भव्य जीवोंका उद्धार कर शक्ता है ।
(६०) प्रश्न- मिथ्यात्वका नास करनेसे- दर्शन संपन्न होता है उन्होंको क्या फल होता है । :