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(१८) प्रश्न- स्वाद्याय (आगमोकि आवृति) करनेसे क्या फल
होता है ?
( 3 ) स्वाद्याय करनेसे जीवोंका अध्यवशाय ज्ञान रमणता में रहते हैं इन्हीं से ज्ञानावर्णिय कर्मका क्षय होता है तथा सर्व दुःखके अन्तः करनेमें यह सूत्रोंकि स्वद्याय मौख्य कारण भूत है ।
(१९) प्रश्न-वाचना सूत्रोंकि वाचना देना तथा वाचना लेनेसे जीवोंको क्या फल होता है ?
(3) सूत्रक वाचना देनेसे कर्मोकि निर्जरा होती है और - सूत्र धर्म कि अनासातना अर्थात सूत्रोंका बहुमान होता है वाचना देने से तीर्थ धर्मका आलम्बन होता है तीर्थ धर्मका आलम्बन करता इंवाजीव कर्मोंकि महान् निर्जरा और संसारका अन्तः करता है शासनका आधार ही आगमोंकि वाचना पर रहा हुवा है वाचना देने लेने से ही शासन आमोध चल रहा है वास्ते वाचना देने लेने में समय मात्रका प्रमाद न करना चाहिये ।
(२०) प्रश्न- ज्ञान वृद्धिके लिये तथा शंका होनेपर प्रश्न पूच्छते है उन्नीं जीवोंको क्या फल होते है ।
( उ ) प्रश्न पुच्छने से सूत्र अर्थ और सूत्रार्थ विशुद्ध होते हैं और जो शंका होनेसे कक्षामोहनिय उत्पन्न हुई थी वह प्रश्न पुच्छनेसे निष्ट हो जाती है चित्त समाधि होने पर नये नये ज्ञान कि प्राप्ती होती है ।
(२१) प्रश्न- सिद्धान्तों को वारवार पठन पाठन करनेसे क्या फल होता है ?