Book Title: Shighra Bodh Part 11 To 15
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpmala

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Page 384
________________ (१०) (3) सिद्धान्त विस्मृत हो गये सूत्रार्थ कि स्मृति होती है वारवार पठनपाठन करनेसे अक्षर लब्धि तथा पदानुस्वारणी लब्धियोंकि प्राप्ती होती है। (९९) प्रश्न-अनुपेक्षा- सुत्रार्थ पर प्रति समय उपयोग देता हुवा अनुभव ज्ञानकी विचारण करते हुवे जीवोंको क्या फल होता है। (३) अनुपेक्षा-अनुभव ज्ञानसे विचारणमें उपयोग कि प्रवृति होनेसे आयुष्य कामकों छोड़के शेष सातों कौका धन प्रबन्ध होतो शीतल करे, दीर्घकालकि स्थितिवाले कर्मोको स्वल्पकालकि स्थितिवाला कर देते है, तीव्र रसवाले कार्मोको मंद रस वाला कर देते है बहुत प्रदेशवाले कर्मोको स्वल्पप्रदेशवाला करे, आयुष्य कर्म स्यात् बन्धे ( वैमानिकका ) स्यात् न बन्धे (मोक्ष जावे तो) मासाता वेदनिय वारवार नहीं बन्धे इस धारापार संसार समुद्रको शीघ तिरके पारपामें अर्थात् अनुपेक्षा है वह कर्मोके लिये बड़ा भारी शस्त्र है । (२३) प्रश्न-श्रोतागणको धर्म कथा सुनानेसे क्या फल होता है। (उ) धर्मकथा केहनेवाला हमारों गमे जीवोंका उद्धार करता है इन्होंसे कर्मों कि महान् निर्जरा होती है और साथहीमें शासनकी प्रभावना होती है इन्सोंसे भविष्यमें अच्छे फलका अस्वादन, करता इवा मोक्ष जावेगा। (२४) प्रश्न-सुत्रोंकि माराधना करनेसे क्या फल होता है।

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