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प्रत्येक शरीरमें अनन्ते अनन्ते जीव है । वह असंख्याते शरीर है वह द्रव्यापेक्षा है परन्तु प्रदेशापेक्षा तो प्रत्यक शरीर के अनन्ता अनन्ता प्रदेश है क्युकि अनन्ता परमाणु वा एकत्र होनासे एक औदारीक शरीर बनता है। द्रव्यापेक्षा जो औदारीक शरीर है उन्हीका मि दो दो भेद है (१) पर्याप्ता (२) अपर्याप्ता एवं प्रदेशापेक्षा भि.
सूक्षमनिगोदका जीव है वह द्रव्यापेक्षा अनन्ता है और प्रत्यक जीव के असंख्याते असंख्याते आत्म प्रदेश है उन्हीका भी दो दो भेद है (१) पर्याप्ता (२) अपर्याप्ता एवं प्रदेशप्पेक्षा मि समझना.
बादर निगोद-जैसे सूक्ष्म निगोदका शरीर-जीव, द्रव्य, प्रदेश, पर्याप्ता अपर्याप्त के भेद उपर किया गया है इसी माफिक बादर निगोदका भि समझना.
भव्यात्मावोंको विशषः बोध के लिये शास्त्रकार सूक्षम बादर निगोद कि अल्पाबद्दूत्व कर बतलाते है। निगोदके शरीरकि अल्पाबहूवर.
(१) द्रव्यापेक्षा. (१) बादर निगोद के पर्याप्ता शरीर द्रव्य स्तोक. (२) " " अपयोप्ता ,, असं० गु०