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११४ (२) मूलबीया-मूलमे बीज जेसे कन्दा मूलाके (३) पोरबीया-गाठ गाठमे बीज इक्षुआदिमे (४) कन्धबीया-गहू चीणादिमे ..
इन्ही वनास्पतिकायके उत्पन्न होनेका स्थान दोय है (१) स्थलमे ( २ ) जलमे जिस्मेपेस्तर स्थलमे उत्पन्न होते है उन्हीका अधिकार लिखा जाते है.
पृथ्वीयोनिया वृक्ष पृथ्वीमे उत्पन्न होता है तब पेहला पृथ्वीकायके स्नग्धपुद्गलोंका आहार ले के अपना शरीर बन्धता है बादमे छे काया के जीवोंके मुक्केलगे पुद्गलोंका आहार लेते है वह आहार अपने शरीरपणे परिणमाते हुवे शरीरका वर्ण गन्ध रस स्पर्श नाना प्रकारका होते है यह प्रथम अलापक हुवे ।१।
पृथ्वीयोनिया वृक्ष मे वृक्ष उत्पन्न होता है तब पेहले उत्पन्न स्थानके स्नग्धका आहार ले के अपना शरीर बन्धते है बादमे के कायाके शरीरोंके पुद्गलोंका आहार ले के अपना शरीरके वर्ण गन्ध रस स्पर्श नाना प्रकारके बनाते है । २ । __ वृक्ष योनिया वृक्षमे वृक्ष उत्पन्न होता है तब पेहले अपने उत्पन स्थानके स्नग्धका आहार लेके शरीर बन्धता है बादमे के कायाके शरीरोंका पुद्गलोंसे अपने शरीरके नानाप्रकारके वर्णगन्ध रसस्पर्श बनाते है । ३ ।