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थोकडा नम्बर, ३
सूत्रश्री जीवाभिगमजी प्र९
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(निगोद ) शास्त्रकारों ने निगोद दो प्रकारकि वतलाई है ।
१ सूक्षमनिगोद-सूक्षमनिगोदके गोला असंख्याते है बह स्मपूरणलोक व्याप्त है.
२ बादर निगोद-जो लोकके दशभागमे है। जैसे कन्दमूल जमिकन्द कान्दा मूला लशण रतालू पंडालू आदो अडवी आलू आदि जिन्होंके सूचि अग्र भागमे अनन्त जीव होता है। - सूक्षमनिगोदके दो भेद है (१) निगोद जीवोंके शरीर (२) निगोदके जीव । जिस्मे निगोद जीवोंका शरीर असंख्याते है क्युकि निगोद जीवोंके तेजस ओर कार्माण शरीर तो प्रत्यक जीवोंके प्रत्यक शरीर है परन्तु औदारीक शरीर है वह अनन्त जीवोंका एक शरीर होते है वह औदारीक शरीर भि असंख्याते है अर्थात् निगोदके औदारीक शरीर असंख्याते है ओर