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च्यार अञ्जनगिरि के अन्तरामे च्यार रतिगीरापर्वत है वह अढाइसो जोजन धरतिमे १००० जों० उचा सर्व स्थान हजार जोजन पहूला पलीक संस्थान है प्रत्यक रतीगीरापर्वत के च्यारों दिशामें च्यार च्यार राजधानीयों एवं १६ राजधानी है वह प्रत्यक राजधानी १००००० जो० के विस्तारवाली है ३१६२२७ । ३ । १२८ । १३ - १-१-१-६ भारी परद्धि है यावत् राजधानीका वर्णन माफीक समझना जिस्मे इशान और नैऋत्यकोन रतीगीरा के ८ राजधानीयों तो शक्रेन्द्र के ग्रमषियोंकि है ओर अनि ओर वायुकोन रतीगीरा के ८ राजधानीयों इशानेन्द्र के ग्रमेहपियोंकी है नन्दीश्वर द्विप आती है तब वह पर ठेरती है व नंदीश्वर द्विपका सर्व पदार्थ
कहते है ।
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गिरिपर्वत अञ्जनरत्नमय. १६ दधिमुख पर्वत करत्नमय. ३२ कनकगिरिपर्वत कनकमय. ५२ जिनमन्दिर सर्वं रत्नोंमय. ६६५६ बावन मन्दिरों में जिन प्रतिमावें. २०८ मुखमंडप ५२ मन्दिर के दरवाजेपर.
२०८ प्रेचप घरमंडप
२०८ स्थुभ.
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