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धात कि खंड कि तर्फससे लवणसमुद्रमे १२००० जोजन आनेपर लवणसमुद्रके वेलके बाहारका पूर्वमे दो चन्द्र द्विपा और पश्चिममे दो सूर्य द्विपा बारह बारह हजार जोजनके विस्तारवाला है इन्ही १२ द्विपों उपर देवतोंका भुवन-प्रासाद है वह प्रत्यक प्रासाद ६२॥ जोजनका उचा ३१॥ जोजानके विस्तारवाला अनेक स्थाभादिसे अच्छा शोभनिक है लवणसमुद्रके चौतर्फ पदम्बर वेदिका है विजयादि च्यार दरवाजा है दरवाजे दरवाजे ३६५२८० का अन्तर है लवणसमुद्रमे ५०० जो० का मच्छ भी है।
इति लवणसमुद्राधिकार । सेवंभंते सेवभंते तमेव सच्चम् ॥
* थोकडा नम्बर २.
. सूत्र श्री जीवाभिगम प्र. ४.
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(घातकिखंड द्विपादि) लवणसमुद्रके चौतर्फ बलीयाके आकार च्यार लक्ष जोजन विस्तारवाला घातकिखंड नामका द्विप है वह च्यार लग