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एवं सर्व मीली १४५६००० नदीयों परिवारकी हुइ तथा यंत्रमें १४-६४ मीलके ७८ मूल नदीयों हूइ.
महाविदेहक्षेत्रके च्यार विभागमें ३२ चक्रवरतकि विजय है जिस्का २८ अन्तरोंमें १६ तो वस्कारपर्वत पहले लिख आये है और १२ अन्तरमें बारह अन्तर नदी है यथागृहवन्ति, द्रहवन्ति, पंकवन्ति, तंतजला; मंतजला, उगमजला, क्षीरोदा, सिंहसोता, अन्तोबहनि, उपिमालनि, फेनमालनि, गंभीरमालनि य्ह १२ नदीयों प्रत्यक नदी १२५ जोजनकी चोडी है अढाइ जो० उढी है १६५९२ जोजन और दो कलाकि लम्बी है एवं सर्व मीलके १४५६०६० नदीयों जम्बुद्विपमें है यह थोकडा सामान्य बुद्धिवाला सुखपूर्वक समझ शके वास्ते संक्षेपसें ही लिखा गया है विशेष विस्तारकि इच्छावालोंके लिये गुरुमहाराजकी विनयभक्ति कर जम्युद्विप प्रज्ञाप्तीसूत्र श्रवण करना चाहिये इत्यलम् ।
॥ सेवंभंते सेवंभंते तमेव सच्चम् ॥