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श्री रत्नप्रमाकर शानपुष्पमाला पुष्प नं. ४६ शीघ्रबोध या थोकडा प्रबंध
भाग १४ वा.
-kokथोकडा नं. १
सूत्र श्री जीवाभिगमसे
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(लवणसमुद्राधिकार ) लवणसमुद्र-जम्बुद्विप एक लक्ष जोजनका है उन्हीके चौतर्फ बलीयाकार दो लक्ष जोजन विस्तारवाला लवणसमुद्र है जिनहोके अन्दर कि प्रद्धि जम्बुद्विपके परद्धि माफीक है मोर बाहार कि परद्धि १५८११३६ जोजन साधिक है लवणसमुद्रका पाणीका उढास जम्बुद्विप कि जगति (कोट) से ६५ जोजन लवणसमुद्रमें जावे तव एक जोजन उढा है पचाणवेसो ६५०० जोजन जगतिसे लवणसमुद्रमे जावे तब १०० जो० उढा तथा ६५००० जोजन जावे तब १००० जो० उढो श्रावे इसीमाफीक घातकि खण्डसे भि६५००० जो० लवणसमुद्रमे श्रावे तो १००० जो० उढो आवे दोनों तर्फ से ६५०००६५००० जो आनासे मध्यमे १०००० जोजन लवणसमुद्र