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बो० जमुणीया सुवर्णमय है एवं तीन करंड मीलाके १ लच जोजन परिमाण मेरूपर्वत है मेरूपर्वतके १६ नाम है। मन्दिरमेरू, मनोरम, सुदर्शन, सयंप्रभ, गिरिराज, रत्नोचय, शिलोचय, लोकमध्य, लोकनाभि, अवच्छर सूर्यावृतन, सूर्यावर्ण, उत्तम दिशादि वडेंसे इन्ही मेरूपर्वतका मन्दिर नामका देव एक पल्योपमकि स्थितिवाला है वास्ते इन्हीका मन्दिर नाम दीया है और देवादिको आनन्दका घर है तथा सास्वता नाम है इति.
( ५ ) कुंटद्वार-जम्बुद्विपमे ५२५ कुंट है जिस्मे १४६७ कुंट पर्वतोपर है यथा१ चुलहेमवन्तपर्वतपर कुंट ११ ८ शौलावस्कारपर्वत प्रत्यक २ महाहेमवन्तपर्वतपर , ८ पर्वत पर च्यार च्यार कुंट ६४ ३ निषेडपर्वत पर ,६ ६ विद्युत्प्रभा गजदन्ता पर , 8 ४ निलवन्तपर्वत पर , ६ १० मालवन्ता , ,,, ५ रूपिपवेत पर ,८ ११ सुमानस , , ७ ६ सीखरीपर्वत पर ,११ १२ गन्धभाल , , , ७ ७ चौतीस वैताडयपर्वत १३ मेरुपर्वतका नन्दनवनमे. है प्रत्यक पर्वतपर नव आये हुवे कुंटह नव............कुंट ३०६
एवं ४६७ तथा भद्रशालवनमे ८ हस्तिकुंट है देवकुरूमे ८ उतरकुरूमें ८ एवं २४ और ३४ चक्रवरत कि विजय में
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