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अढाइसो अढाइसो जोजनका भद्रशालवन है वहांसे दक्षिणकि तर्फ निषेडपर्वत तक देवकूरू क्षेत्र और निलवन्त पर्वत तक उत्तर कूरूक्षेत्र है। एकेक क्षेत्र दोदो गजदन्तों कर आदा चन्द्राकार है इन्ही क्षेत्रोंमे युगल मनुष्य तीनगाउ कि अवगाहना और तीन पल्योपम कि स्थिति वाले है देवकूरूक्षेत्रमें कुड सामली वृक्ष चितविचित पर्वत १०० कंचनगिरि पर्वत पांचद्रह इसी माफीक उत्तरकूरूमे परन्तु वह जम्बु सुदर्शनवृक्ष है इति विदहेका च्यार भेद ।
निषेडपर्वत और महा हेमवन्तपर्वत इन्ही दोनो पर्वतोंके विचमे हरिवास नामका क्षेत्र है तथा निलवन्त और रूपी इन्ही दोनों पर्वतों के विचमे रम्यक्वास क्षेत्र है इन्ही दोनों क्षेत्रोंमे दो गाउकी अवगाहना और दो पल्योपम कि स्थिति वाले युगल मनुष्य रहे ते है।
महाहेमवन्त और चुलहेमवन्त इन्ही दोनों पर्वतों के विचमे हेमवय नामका क्षेत्र है तथा रूपी आर सीखरी इन्ही दोनों पर्वतों के विचमे एरणवयक्षेत्र है इन्ही दोनों क्षेत्रोंमें एक गाउकी अवगाहाना ओर एक पल्योपम कि स्थिति वाला युगल मनुष्य रेहेते है । एवं जम्बुद्विपमे मनुष्य रहेने के दश क्षेत्र है इन्हीको शास्त्रकारोंने वासा काहा है अब इन्ही १० क्षेत्रोंका लंम्बा चोडा बाहा जीवा धनुषपीठ आदिका परिमाण यंत्रद्वारा लिखा जाता है।