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(५३) (४) अवगाहनानाम=शरीरका प्रमाण. (१) प्रदेशनाम-परमाणुगदि प्रदेश. (६) अनुभागनाम-शुभाशुभ प्रकृतियोका रस. . समुचय एक जीव और नरकादि चौवीसदंडकके एकैक जीव आयुष्यकर्मके साथमें उपर कहे छ बोलबांधते हैं. एवं २५ को छ गुना करनेसे १५० भागे एवं बहुवचनकी अपेक्षा भी १५० कुल ३००, इसी तरह तीनसौ निद्धस और तीनसौ निकाचित बंधके एवं ६००, यह छसौ नामकर्म छसौ गोत्रकर्म बसौ नामगोत्रकर्मके साग्मिल करनेके सब मिलाके १८०० भागे भायुष्य कर्मके हुवे. ___ जीव जातीनाम, निद्धसभायुष्य बांधते है, वे कितनी भाकनासे पुद्गल ग्रहण करते हैं, अर्थात् मायुष्यकमके पुद्गलोंको खेचते हैं. जैसे पाणी पीती हुई गाय पानीको खेचे वैसे जीव पुगलोंको खेचता है. वह कितनी भाकर्षनासे खेचता है ?
. एक दो तीन यावत् उत्कृष्ट पाठ आकर्षनोसे कर्मपुद्गल खेचते है. इसमें एकसे यावत् पाठ आकर्षन करनेवाले जीवोंमें ज्यादा कम कौन है वे अल्पाबहुत्व करके बताते है. . (१) आठ आकर्षना कर कर्मबंधने वाले जीव सबसे स्तोक(२) सात "
जीव संख्यातगुणा (३) छ , (४) पांय , , , , (५) चार .,