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(६) तीन ,
" " (७) दो , " " " (८) एक " " " "
जैसे जातिनाम निषकी समुचयजीवापेक्षा एक अल्पाबहुत्व बताई है इसी माफिक गतिनामादि छ बोलोंकी अल्पाबहुत्व समुचय जविकी और नरकादि २४ दंडक पर छ छ अल्पाबहुत्व करनेसे १५० अल्पाबहुत्व यावत् उपरवत् १८०० भागोंकी अल्पाबहुत्व समझना । इति.
__ से भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् ।
थोकडा नं. १४३ श्री पन्नवणासूत्र पद १० (चरमपद)
चरमकी अपेक्षा अचर्म होता है और अचर्मकी अपेक्षा चरम होता है. इसमें कमसे कम दो पदार्थ अवश्य होना चाहिये. यहांपर रत्नप्रभादि एकेक पदार्थका प्रश्न है. इसके उत्तरमें एक अपेक्षा नास्ति है और दूसरी अपेक्षा अस्ति है. इसीको स्यावाद कहते है. ___ पृथ्वी कितने प्रकारकी है ? पाठ प्रकारकी है. यथा-रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, वालुप्रभा, पंकप्रमा, धूमप्रभा, तमप्रभ, तमस्तमाप्रभा और इशीत्प्रभारा ( सिद्धशीला )
रलप्रभा नरक क्या (१) चरम है. (२) अचरम है (३) बहुत चरम है (४) बहुत अचरम है (६) चरम प्रदेश है (३) मचरम प्रदेश है ? रत्नप्रभा नरक द्रव्यापेक्षा एक हैं इस लिये