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(४) रुप
,
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[४२] नीच गोत्र. जिसमें ऊंच गोत्रके ८ भेद है तथा निचगोत्रके आठ भेद, (ऊंचगौत्र)
(नीचगौत्र) (१) जाति विशेष उत्तम जातिमद (२) कुल , "
कुलमद (३) बल ॥ ॥
वलमद
रुपमद (५) तप , , .
तपमद (६) सूत्र , ,
सुत्रमद (७) लाभ , ,
लाभमद (८) एश्वर्य ,,, एश्वर्यमद (८) अन्तराय कर्मके उदय अनुमाग ५ प्रकारके हैं यथा
(१) दानान्तराय-दान दे न सके. (२) लाभान्तराय-लाभकी प्राप्ति न हो. (३) भोगा ,,-छती वस्तु भोग न सके. (४) उपभोगा ,,-वार २ मोग न सके. (५) वीर्या ,,-कोई काममें पुरुषार्थ कर न सके.
इति सेवं भते सेवं भंते तमेव सच्चम् ।
थोकडा नं० १० सूत्र श्री पन्नवणा पद २८ उ० २
(आहार पद) (१) जीव (२) भव्य ३) संज्ञी (४) लेश्या (५) द्रीट