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(४) कषाय मोहनिय - इसके उदयसे अन्तानुबन्धी आदि १६ प्रकृतियोंका उदय होता है.
(५) नोकषाय मोहनीय - इसके उदयसे हास्यादि नौ प्रकृतिका उदय होता है.
(५) आयुष्य कर्मके उदय अनुभाग के चार भेद है.
(१) नारकीका आयुष्य वैदे
(२) त्रियंचका
(३) मनुष्यका (४) देवताका
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(१) इष्ट शब्दका मिलना
(२) इष्ट रुपा मिलना
(३) इष्ट गन्धका मिलना
(४) इष्ट रसका मिलना
(१),, स्पर्शका मिलना
(६),, गति (देवादि )
(७), स्थिति
(८),, शरीर लावण्य
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(६) नाम कर्मके उदय अनुभाग के दो भेद हैं. शुभ नाम कर्म और अशुभ नाम कर्म जिसमें शुभ नाम कर्मके अनुभाग १४ प्रकारके हैं.
(९) इष्ट यशोकीर्ति
(१०) इष्ट उत्थानादि बीर्य
(११) इष्टाकार
(१३) इष्ट स्वर
(१३) कन्त स्वर
(१४) प्रीय स्वर
(१५) मनोज्ञ स्वर
(१६) विशेष मनोज्ञ
अशुभ नाम कर्मके १६ बोल इससे विप्रीत समझना. (७)
गोत्र नाम कर्मके उदय अनुभागके दो भेद हैं. उंच गोत्र और