________________
(६१) ... थोकडा नं० १४५ श्री पनवणा सूत्र पद १०
_ . ( संस्थान ) संसारमें जितने पुद्गल हैं वह किसी न किसी कारमें अवश्य है. उस भाकारको शासकारोंने संस्थान कहा है वह इस पोकडे द्वारा कहेंगे.
हे भगवान ! संस्थान कितने प्रकारके हैं ? संस्थान पांच प्रकारके हैं यथा
(१) परिमंडल-गोल चूड़ीके आकार प्रदार्थ -- (२) वट्ट-गोल लडूके आकार पुद्गल
(३) त्रंस-तिखूने सिंघोडेके आकार पुद्गल (४) चौरंस-चोखूने चौकीके आकार पुद्गल (५) भायतन-लम्बा-वांसके आकार पुद्गल*
हे भगवान ! परिमण्डल संस्थान इस लोकमें क्या संख्याते, असंख्याते वा अनंते हैं ? संख्याते, असंख्याते नहीं किंतु अनंते हैं एवं यावत् आयतन संस्थान पर्यंत कहना वह पांचो संस्थान लोकमें अनंते अनंते हैं.
हे भगवान् ! परिमण्डन संस्थान क्या संख्याते, असंख्याते या अनंत प्रदेशी है ? परिमण्डल संस्थान स्यात् संख्यात, स्यात् . *भगवती सूत्र श २५ उ० ३ में संस्थान छ प्रकारके कहे है. जिसमें पांच तो उपरोक और छटा अनवस्थित जो इन पांचोसे विलक्षण हो वह सब अनवस्थित संस्थान कहलाता है ।