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( १७) औ० मिग | का० आ० मिश्र चौ० मिश्र| कार्मण !
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चतुष्क संयोगी भांगा १६.
मा० मा. मिश्रा औ० मिथ कार्मण आ० मा० मिश्र | औ० मिश्र
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। इति भांगा ८१ एवं भांगा ९-४२-९-३-८१ सर्व १४४ भांगा हुवा इति
नोद-मनुष्यमें वैक्रियमिश्रकाययोगको शाश्वत कहा है सो टीकाकार कहते हैं कि विद्याधर वैक्रिय करते हैं इस अपेक्षासे है,