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और औदारिकके मिश्रको प्रशाश्वता कहा है वह मनुष्यमें उत्पन्न होनेका १२ मुहूर्तका विरहकालकी अपेक्षा है।
हे भगवन ! गति कितने प्रकारकी हैं ? गति पांच प्रकारकी है।
(१) प्रयोग गति-जो पूर्व १४४ भांगे कह भाये हैं इसी माफक समझना.
(२) तंतगति-जो ग्राम नगर आदिको जा रहा है परन्तु जहां तक नगरमें प्रवेश न हुवा अर्थात रास्ते चलता है उसको तंतगति कहते है.
(३) बन्दण छेदण गति-जीवसे शरीरका अलग होना शरीरसे जीवका अलग होना.
(४) उववाय गति-उत्पन्न गतिके तीन भेद हैं (१) क्षेत्र उत्पन्न गति (२) भवो उत्पन्न गति (३) नो भवो उत्पन्न गति । जिसमें (१) क्षेत्र उत्पन्न गतिके पांच भेद हैं यथा
(१) नरकमें उत्पन्न जिसका रत्नप्रभादि सात भेद हैं. (२) तियेचमें उत्पन्न जिसका एकेंद्रियादि पांच भेद हैं. (३) मनुष्यमें उत्पन्न जिसका गर्भज समुत्सम दो भेद हैं. (४) देवतामें जिसका भुवनपति आदि ४ भेद हैं.
(५) सिद्ध उत्पन्न गतिके अनेक भेद हैं. जम्बूद्वीपादि अढाई द्वीप ४९ लक्ष योजनमें कोई भी प्रदेश ऐसा नहीं है कि यहाँसे सिद्ध न हुवा हो अर्थात् सर्व स्थानसे सिद्ध हुवे हैं. अब यहां पर अढाई द्वीप दो समुद्रमें जितने पर्वत और क्षेत्र है उनका नाम सर्व वहां पर कह देना.