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[१०] (४) कर्म–सर्व नारकीके क्या कर्म बराबर है ?
नारकी दो प्रकारके है (१) पहले उत्पन्न हुवे (२) पीछे उत्पन्न हुवे जिस्मे जो पेहले उत्पन्न हुवे नारकी है वह विशुद्ध कर्मवाले हैं कारण वह बहुतसे अशुभ कर्म भोगव चुका है शेष स्वल्प कर्म राहा और जो पीछेसे उत्पन्न हुवे है वह अविशुद्ध कर्मवाला है कारण उन्हींको हाल सर्व अशुभ कर्म भोगवणा रहा है जेसे दो केदी केदखानामे है निस्से एक तो ११ मास केदमे रहा अब एक ही मासमे छूट जावेगा दुसरा एक ही मास केदमे रहा और ११ माससे छूटेगा इन्ही दोनों केदियोंमे परिणामोंकी विशेषता अवश्य होती है।
(१) वर्ण (६) लेश्या (क्रन्ति )--यह दोनों द्वार कर्म माफीक समझना। .
(७) वेदना-सर्व नारकीके वेदना क्या बराबर है।
नारकी दो प्रकारके है (१) संज्ञी भूत (२) असंज्ञी भूत (अर्थात् यहसे संज्ञी जीव थरके नारकीमें जाधे या नारकीमें पयाप्ता तथा सम्यग्दृष्टी हो इन्ही तीनोंको संज्ञीभूत कहते है इन्हीसे विप्रीतको असंज्ञीभूत कहते है उन्होंको स्वरूप वेदना जेसे यहांपर; इजतदार आदमीको स्वल्प भी ठका मीलने पर बड़ा ही रंज होता। है और जो नो लायककों केद तक भी होना पर भी कुच्छ नहीं इसी माफीक सम्यग्दृष्टी नारकीको मानसी महावेदना होती है इतनी : मिथ्यादृष्टीकों नहीं होती है.
(८) क्रिया-सर्व नारकीकों क्रिया बराबर है ? ..