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[३५] होता हैं और सम्यग्दर्शन तथा मिथ्या दर्शन मृत्यू होके परभव गमन करते समय साथ ही चलता है परन्तु मिश्र दर्शन परभव साथ नही चलता है। (९) सिद्ध भगवान्में दर्शन एक सम्यग्दर्शन है । इति ।
सेवंभंते सेवंभंते तमेव सचम्
थोकडा नम्बर ८ सूत्र श्री पन्नवणाजी पद २१
(मरणांति समुहात) ... जीब मरणांतिक समुहातकर परभा गमन करते है उन्ही समय रहस्तेमें तेजप्त कारमण शरीर ही रहते है उन्हीं समय तेनस शरीर कि कितने विस्तारवाली अवगाहाना होती है वह इस थोकडा द्वारा बतलावेगा।
। मरणांतिक समुदघात और तेजसावगाहाना ।
समुच्चय जीव समु० एकेंद्रिय और पांच स्थावर जो मरणांतिक समुदघात करे तो विस्कंभ पहूलपने जाडी तो शरीर परिमःणे और लंबाई में जघन्य अंगुलके असंख्यातमें भाग उत्कृष्ट लोकान्त तक होती है___ तीन वैकलेंद्रिय और तीर्यच पांचेंद्रिय जाडी पहली तो शरीर परिमाणे लंबाईये ज० अंगु० असं ० भाग उ० तीरच्छा लोकान्त तक एवं मनुष्य परन्तु उत्कृष्ट मनुष्यलोक परिमाण ... नारकी और देवतोंमें विस्कंभ और. जाडी तो शरीर परिमाणे लम्बाईमें निचे यंत्र परिमाणे समझना