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(१२) कृष्ण
(१३) तेजो ०
(१४) कापोत
(११) निल
०
(१६) कृष्ण
(१५) तेजो ०
०
(१८) कापोत
(१९) निल०
(२०) कृष्ण ० (२१) तेजो०
(२२) तेजो
०
[ २९ ]
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वाणमित्रा
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ज्योतिषी देव
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देव असं० गु०
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देवी० सं० गु०
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वि
देवी
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असं० गु०
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सं० गु०
सं० गु०
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सेवते मेवंभने तमेव लच्चम्
धोकड़ा नं० 8
सूत्र श्री पन्नवणाजी पद १७५० ३ ( लेश्याधिकार )
हे भगवान् ! नारकी में क्या नेरीया उत्पन्न होते हैं या अनेरीया ! गौतम ! नारकी में नेरीया उत्पन्न होते हैं अनेरीया नहीं. याने जो मनुष्य, तीर्यचमें बैठा हुवा जीव जिसने नारकी का आयुष्य बांधा है वह भविष्य में नारकीमें ही नावेगा इस लिये शास्त्रकारोंने भवि नारकी वहा इसी माफक २४ दंडक भी समझना ।