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( टटे )
मान में नहीं, भविष्य में अनंती, एवं यावत् नौयैवेक तक परन्तु मनुष्य स्वस्थाने वर्तमान स्यात् संख्यात स्यात् श्रसंख्यात कहना.
चार अनुत्तरवैमानपणे० भूतकाल संख्यात, वर्तमान नहीं, भविष्य स्यात् संख्यात, स्यात् असंख्यात और सर्वार्थसिद्धप भूतकाले, वर्तमान नहीं, भविष्य स्यात् संख्याती, स्यात् असंख्याती एवं व्यंतर ज्योतिषी वैमानिक यावत् नौवेक तक समझना | घणा व्यार अनुत्तर वैमानके देवता नारकीपसे द्रव्येंद्रिय भूतकाले अनंती, वर्तमान और भविष्य नहीं एवं ज्योतिषी तक समझना; परन्तु मनुष्यपणे भविष्य में असंख्याती करेगा एवं सोधर्मसे यावत् नौप्रैवेक तक ।
च्यार अनुत्तर बैमानपणे श्रतीता असंख्याती, वर्तमाने असंख्याती, भविष्य में असंख्याती, सर्वार्थसिद्धपणे भूतकाल नहीं, वर्तमान नहीं, भविष्य असंख्याती । घणा सर्वार्थसिद्धका देवता नारकपणे द्रव्येन्द्रिय भूतकाल में अनंती, वर्तमान और भविध्यमें एक भी नहीं एवं मनुष्यवर्धके यावत् नौयैवेक तक समझना. मनुष्यपणे तीता अनंती, वर्तमान नहीं, भविष्य संख्याती ।
च्यार अनुत्तर वैमानपणे भूतकाल संख्याती, वर्तमान और भविष्य नहीं, सर्वार्थसिद्ध वैमानके घणे देवता घणा सर्वार्थसिद्ध वैमानिका देवतापणे द्रव्येन्द्रिय भूतकाल में एक भी नहीं, वर्तमान संख्याती, भविष्यकालमें एक भी नहीं करेगा ।
इति द्वारम्
हे भगवान् ! भाव इंद्रियां कितनी है ? भाव इन्द्रियां ५ हैं.