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(६) गन्ध-सुगन्ध और दुर्गन्ध,
(७) रस- तिक्त, कटुक, कषायत, खटा और मधुर (मीठो ) मूल रस पांच हैं, और नमकको सामिल करनेसे पटूरस कहे जाते हैं.
(८) स्पर्श - कर्कश, मृदुल, गुरु, लघु, शीत, उष्ण, स्निग्ध और रुक्ष.
(९) अगुरुलघु-न हलका और न भारी. जैसे परमाणवादि प्रदेश, मन, भाषा और कार्मण शरीरादिके पुद्गल.
(१०) शब्द - दो भेद, सुस्वर, दुस्वर. सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् ।
थोकडा नं० १५०
श्रीपन्नवणासूत्र पद १५. ( इन्द्रिय पद )
इन्द्रिय पदका पहिला उद्देशा शिघ्रबोध भाग ९ में छप चुका है. इस संसारार्णवमें परिभ्रमण करते हुवें एकेक जीवने भूतकालमें कितनी २ इन्द्रियां की ९ वर्तमान में कौनसा जीव कितनी इन्द्रिया बांधके बैठा है ? भविष्य में कौनसा जीव कितनी इन्द्रिय बांधेगा ? यह सब इस थोकड़े द्वारा कहेंगे ।