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( ७७) (१) पांच अनुत्तर विमानमें २२ बोन-एक दृष्टि और मौन अयान कम करना.
(३) पृथ्वी, पानी, वनस्पतिमें १८ बोल-१-१-४-४-१ १-३-१-१-१ एवं १८
(२) तेउ, वाउमें १७ बोल-एक लेश्या कम करनी
(१) बींद्रिय में २२ बोल-जिसमें १७ पूर्ववत् और एक रसेंद्रिय, एक वचनयोग, दो ज्ञान, एक दृष्टी, एवं ५ बोल अधिक
(१) तीद्रियमें २३ बोल-एक घ्राणेन्द्रिय अधिक (१) चोरिन्द्रियमें २४ बोल-एक चक्षुन्द्रिय अधिक
(१) तिर्यंचपंचेन्द्रिमें २५ बोल-क्रमश: १-५-४-६-३ २-६-३-२-३
(१) मनुष्यमें ४७ बोल-तीन गति कम करना. विशेष विस्तार गुरुगमसे समझो. सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् ।
थोकडा नंबर. १४९ . श्रीपनवणासूत्र पद १४ ।
(अजीव परिणाम ) - अजीव-जो पुद्गल है उसका भी स्वस्वभाव परिणमने का है
और उनके दश भेद हैं. (१) बन्दन (२) गति (३) संस्थान (४) मेद (१) वर्ण (६) गंध (७) रस (८) स्पर्श (8) अगुरुलघु (१०) शब्द.