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(५८) (११) सर्व प्रदेश अनन्ता गुरु (१२) सर्व पर्याय अनन्ता गुरु
सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् ।
थोकडा नं. ११४
सूत्र श्री पन्नवणा पद १० रत्नप्रभादि नरक में सापेक्षा चर्म, भचर्म कहां हैं परन्तु परमाणुके दो विभाग हो नहीं सक्ते हैं इसलिये शास्त्रकारोंने चरम अचरम और प्रवक्तव्य यह तीन विकल्प किये हैं वह इस थोकड़े द्वारा बतलायेंगे। ___ चर्माचर्म और अवक्तव्य इन तीनोंके २६ भांगे होते हैं. इसको नीचे यंत्रमें लिखेंगे जहां एकका अंक है वहां एकवचन पौर तीनका अंक है वहां बहुवचन समझना ।
__ असंयोगी भागा ६ ___ नं० चर्म प्रचर्म अवक्तव्य
(२)
३
(४) ३ (६) ३ द्विसंयोगी भांगा १२ चर्म श्रवक्तव्य अचर्म | प्रवक्तव्य
चर्म । अचर्म
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