Book Title: Padmcharita me Pratipadit Bharatiya Sanskriti
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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३८ : पद्मचरित और उसमें प्रतिपादित संस्कृति
विकीर्ण करने, सुगन्धित द्रव्य का लेप लगाने, भोजन पान बनाने आदि कार्यों में उनकी निपुणता का उल्लेख मिलता है । २३ विवाह प्रथा
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गृहस्थ जीवन में प्रवेश के निमित्त युवा और युवती को एक सूत्र में बाँधने के लिए विवाह होता था। भोगभूमि के समय स्त्री-पुरुष का जोड़ा साथ ही उत्पन्न होता था और प्रेमबन्धन बद्ध हुए साथ ही उनकी मृत्यु हो जाती थी। बाद में विवाह सम्बन्धी कई प्रयायें प्रचलित हुई। किसी शुभ दिन जबकि सौम्यग्रह सामने स्थित होते थे, क्रूर ग्रह विमुख होते थे और लग्न मंगलकारी होती थी, तब स्त्रियों के मंगलगीत तुरही की ध्वनि आदि क्रियाओं के साथ कम्या को लेकर पिता वर के घर पर ही विवाह कार्य सम्पन्न करा देते थे । २५ कभी-कभी कर के किसी सुन्दर रूप और गुणों वाली कन्या पर आसक्त हो जाने पर वह स्वयं अथवा उसका पिता कन्या के पिता से कन्या की प्राप्ति हेतु याचना करता था | पिता उसके कुल, रूप, गुण तथा आयु आदि का विचार कर स्वीकृति या में अस्वीकृति देते थे । अस्वीकृति देने पर कभी-कभी युद्ध होता था और युद्ध यदि वर पक्ष जीत जाता था तो उसके बल और पौष से प्रभावित होकर या से दिवसा के कारण उसे कन्या देनी पड़ती थी ।२७ यहाँ प्रेम विवाह के बहुत उदाहरण मिलते है । प्रेम का प्रारम्भ कभी कन्या की ओर से होता था कभी वर की ओर से । कभी कभी दोनों एक दूसरे को देखकर प्रेमपाश में बंध जाते थे । १० मापर्व विवाह के साथ स्वयंवर प्रथा के भी उल्लेख मिलते हैं । स्वयंवर पद्धति में पुत्रों का पिता अनेक लोगों को आमन्त्रित करता था । सुखज्जित मंध के ऊपर राजाओं को बैठाकर प्रतिहारी क्रम-क्रम से कन्या को राजाओं का परिचय देवी जातो थी। अन्त में जिस वर को कन्या वाहती थी उसके गले में वरमाला डाल देती थी । २३ तदनन्तर लोगों के द्वारा विभिन्न प्रकार के १४ कभी-कभी कौतुक और मंगलाचार के साथ कन्या का पाणिग्रहण होता था ।
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२३. पद्म० ३।११८-१२० ।
२४. पद्म० ३१५१ । २५. पद्म अष्टम पर्व में मन्दोदरी का दशानन के साथ विवाह । २५. वही, १०१४ - १० ।
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२७. वही, ९३ पर्व का श्रीराम का श्रीशमा और मनोरमा कन्या की प्राप्ति
का वर्णन !
२८. वही, ८१०७, ८ १०१ ।
३०. वही, ६११९ ।
३२. वही, २४१८९ । ३४. वही, २४११२१ ।
२९. वही, ९३।१८ ।
३१. बही, ८ १०८ ।
३३. वही, २४१९० ।