Book Title: Padmcharita me Pratipadit Bharatiya Sanskriti
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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४३१
बसन
तथा वस्त्र
वस्त्र रखने के पान --
का व्यवहार कपड़ों के लिए हुआ है।
सामाजिक व्यवस्था ७७
पटल — पटल या वस्त्र रखने के पिटारे के विषय में पद्मति में एक प्रसंग आया है । जब दशरथ राम को बुलाकर राज्य देने को उच्चत हुए तब नूपुरों से सुन्दर शब्द करने वाली तथा उत्तम वेष से युक्त स्त्रियाँ पिटारों (पटलेषु) में अस्त्रालंकार लेकर आ गई ।
४४०
षण
आभूषणों की रमणीयता ने भारतीय हृदय को अत्यधिक विमोहित किया | महाँ मनुष्य के अङ्ग अङ्ग के लिए पृथक-पृथक आभूषण थे । पदमचरित में उल्लिखित आभूषणों का विवरण इस प्रकार है-
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४४५
४४६
४४७
शिरोभूषण — सिर पर किरीट ४४१ (मुकुट ) ४४२ मूर्ध्निरत्न ४४० ( मस्तक सीमन्तमपि का मणि), मौलि ४४४ ( मांग में मणि), छत्र शेखर तथा चूणामणि धारण किए जाते थे ।
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४४८
मौलि डॉ० बासुदेवशरण अग्रवाल ने केशों के ऊपर के गोल सुवर्णपट्ट के रूप में मॉलि की सम्भावना की है । ४४९ पद्मचरित में मौलि को हेमसूत्र (स्वर्णसूत्र ) से वेष्टित ४५०, रत्नों की किरणों से जगमगाने वाला
तथा श्रेष्ठ
मालाओं से युक्त कहा गया है। ४५२
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शेखर - शेखर सिर के चारों ओर की एक माला होती थी । ४५४० वासुदेवशरण अग्रवाल ने मौलि के ऊपर लगे हुए शिखंड के रूप में इसका अनूमान किया है।
४५४
४३८. पम० ३।२२३ १
४४०. चोरुनूपुर निस्थाना दधानादेषमन्वितम् 1 वस्त्रालंकारमादाय पटलेब्वागताः स्त्रियः ।।
४४१. पद्म० ११८२४७ ।
४४३. बड़ी, ७१ ६५
४४५. वही, ८।७० ।
४३९. पद्म० ४१७५ ।
पद्म० २७।३२ ।
४४२. पद्म० ८५११०७ १
४४४. वहीं, ७११७ | ४४६. वही, २७/५७ । ४४८. वही, ३६१७
४४७. वही, ३११९९ ।
४४९. हर्षचरित एक सांस्कृतिक अध्ययन, पू० २१९ ।
४५१. पद्म० ११।३२७ ।
४५०. पद्म० ७१ ७ ।
४५२. वह ३१३५३ ।
४५३. नरेन्द्रदेव शास्त्री भारतीय संस्कृति का इतिहास |
४५४, वासुदेव शरण अवाल : हर्षचरित एक सांस्कृतिक अध्ययन, पु० २१९ ।