Book Title: Padmcharita me Pratipadit Bharatiya Sanskriti
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
View full book text
________________
राजनैप्तिका जीवन : २०५ वैदिना),१° सब कुछ जानने वाले (निखिलर्वदिनः),४१ सदभिप्राय से युक्त (घृतमानसः)४२ विद्वान्,४३ निर्भीक उपदेश देने वाले, ४४ मिज और पर की क्रियाओं को जानने वाले, " प्रेम से भरे," (राजा के) परम अनुयायी आथि विशेषणों से भूषित किया गया है। इन मन्त्रियों की संख्या अनेक होती थी। सामान्य मन्त्रियों के अतिरिक्त बहुत से मुख्यमन्त्री भी होते थे।४८ सभी मन्त्रियों को मिलाकर मन्त्रिमण्डल बनता था । मन्त्रिमण्डल को पद्मचरित में मन्धिवर्ग:९ कहा गया है। किसी विशेष कारणवश आपत्ति के समय राजा विश्वस्त मन्त्री को राज्य सौंपकर कुछ समय के लिए राज्य कार्य से विरत हो जाते थे। प्राणों पर संकट आने पर एक समय दशरथ ने ऐसा ही किया था ।५०
मन्त्रिगण राजा के प्रत्येक कार्य में सलाह दिया करते थे। राजा 'मय' की पुत्री मन्दोदरी जब वारुण्यवती हो गई तब उसके योग्य घर को खोज के लिए राजा ने मस्त्रियों से सलाह दी !' मन्त्र करने में निपुण मारीच भादि सभी प्रमुख मन्त्रियों ने बड़े हर्ष के साथ राजा को उचित सलाह दी।५२ राजा महेंद्र की पुत्री अजना जन विवाह के योग्य हई उस समय महेन्द्र ने मी मन्त्रिजनों से योग्य वर बतलाने के लिए कहा और विचार-विमर्श कर योग्य वर की तलाश की 1 यम नामक लोकपाल के द्वारा रावण को प्रशंसा किये जाने पर जब इन्द्र (इस्त्र नामक राजा) युद्ध के लिए उद्यत हुशा तब नीति को यथार्थता को जानने वाले मन्त्रियों ने उसे रोका ।
राजा जब विभिन्न प्रकार के बाद-विवादों का निर्णय करता था उस समय मन्त्रिगण भी यादस्पल में उपस्थित रहते थे ।५ मगाए आदि मस्त्रियों ने रावण को समझाया कि सीता को छोड़कर राम के साष सन्धि रो। नीति
४०. पदम ८४८७ ।। ४२. वही, १५॥३५ । ४४. वही, ६६।३ । ४६. वही, ४८. वहीं, ७३।२५ । ५०. वही, २३॥४० । ५२. वही, ८.१६ । ५४. वही, ८१४८७ । ५६. कही, ६६८।
४१. पदमः १५।२६ । ४३. वही, १५।३१। ४५. वही, ४७. वही, १०३।६। ४९. वही, ८१४८७ । ५१. वही, ८१२ । ५३. वहीं, १५।२६ । ५५. वही, १११६५ ।