Book Title: Padmcharita me Pratipadit Bharatiya Sanskriti
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
View full book text
________________
२३२ : पद्मचरित और उसमें प्रतिपादित संस्कृति
ये नहीं लौटने वाले जो अन्य वातरध्वज राजा थे वे सब दक्षिण दिशा को व्याप्त कर खड़े हो गये ।३८४
युद्ध का फल-युद्ध के पश्चात् शान्ति स्थापित हो जाती थी। यही उसका फल था।
३८४, पद्म० ६३।३८ ।