Book Title: Padmcharita me Pratipadit Bharatiya Sanskriti
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 230
________________ २१८ : पपचरित और उसमें प्रतिपादित संस्कृति इन्धन अस्त्र२१५, तामस वाण २१६, सहस्रकिरण अस्त्र२१७, हल२१८, उल्का २५९ मुद्गर २२९, परिघ२२१, कुठार २२२, सदर्शन चन२२१. रिका२२४. गा२२५ शर२२१. संवर्तक २२७, भिण्डिमाल २२८, वज्र २५, पाश२३०, पविटा, धन२१२, परिघ२९, आष्टि२३४, भुशुण्डी ३५, त्रिशूल२३६, शरासन२३५, करवाली२३८, अंलिप२१५, ग्राव२४०, दण्ड२४९, कोण२४२ इत्यादि शस्त्रों के नाम भी दिये गये है। शाल, वटवृक्ष तथा पहाड़ों के शिखर से भी युद्ध करने के संकेत मिलते हैं । १४१ ऐसा करना दिव्यमाया द्वारा सम्भव होता था और विद्या के प्रभाव से उसका निवारण होता था।२४४ | মিয় राज्य के सात अंगों में मित्र का महत्वपूर्ण स्थान है। राजाओं को विजय और पराक्रम बहुत कुछ उसके मित्र राजाओं पर अवलम्बित रहती है। वरुण को पराजित करने के लिए रावण ने विजयाई पर्वत की दोनों श्रेणियों में निवास करने वाले विद्याधरों को सहायता के लिए बुलाया । २४५ मित्र और शत्रु राजाओं की पहचान बड़ी मन्त्रणा ओर कसोटी के बाद तय की जाती थी। विभीषण जब राम की शरण में आया तन राम ने निकटस्थ मंत्रियों से सलाह की ।२४ २१५. प ७४११०५ । २१७. वही, ७४।१०८ । २१९. वहीं, ७५।५७ । २२१. वाही. ७५।५८ । २२३. वही, ७६७ । २२५. वही, ८३।१४।। २२७. वहीं, ५२०४५ । २२९. वही, ६०९। २३१. वही, ६२७। २३३, वही, ६२७ । २३५. बहो, ५०।१३२। २३७, वही, १२।१८८1 २३९. वही, २४१. वही, १०२५८ । २४३. वही, ५०।३२ । २४५. वहीं, १९।१। २१६. पप ७४।१०६ । २१८. वही, ७५१५५ । २२०. वही, ७५।५७ । २२२. वही, ७५।५८ । २२४. वही, ७७।। २२६, याही, १०३।१७। २२८. वही, ५८/३४ । २३०. वही, ६२१७ । २३२. बही, ६२।७। २३४. वही, ६२१४५ । २३६. वही, ८२६२ । २३८. वही, १।२५७ । २४०. वहीं, १।२५८ । २४२. वही, २४४. वही, ५०॥३४। २४६. वही, ५५।५१ ।

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