Book Title: Padmcharita me Pratipadit Bharatiya Sanskriti
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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राजनैतिक जीवन : २१५
कुण्डलों से सुशोभित हो उठता था। एफ सिर कटता था तो दो सिर उत्पान हो जाते थे और दो कटते थे तो चार हो जाते थे ।'५० लोग पीता५', गधा १५२. हंस'५३, भेड़िया'५५, शार्दूल १५५, हाथी, सिंह, सूकर, कृष्णमृग, सामान्यमृग, सामर, नाना प्रकार के पक्षी, बैल, ऊँट, घोचे, भैसे आदि जल थल में उत्पन्न हए नाना प्रकार के वाहनों पर सवार होकर निकलते थे । १५६ इनमें से अधिकांश को विद्यानिमित होना चाहिए । विद्या के बिना पक्षी आदि की सवारी करना सम्भव नहीं मालूम पड़ता । एक स्थान पर रावण द्वारा ऐन्न नामक विद्यारथ से युद्ध करने का वर्णन मिलता है।५७
शिबिका-सेना--पदमचरित के एक उल्लेख से सिद्ध होता है कि शिक्षिका (पालकी) सेना भी तैयार की जाती थी। शिनिकाओं से निकलकर योद्धा मुख करते थे।१५८
अस्त्र-शस्त्र-युद्ध में अनेक प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग किया जाता या। पहमपरित में निम्नलिखित अस्त्र-शस्त्रों का उल्लेख मिलता है
कुणी५९-तरकप्त ।
चक्र१५० एफ शस्त्र जिसका आकार यमराज के मुख के समान होता था और जिसकी पार तीक्ष्ण होती थी। शिला -बड़े-बड़े पत्थर ।। सायक -वाण । सप्ति -तलवार । ककोट -धनुष । सायकपुत्रिका -छुरी।
तामसास्त्र -ऐसा अस्त्र जिसका प्रयोग करने पर चारों मोर अन्धकार छा जाय ।
१५०. पन १७५।२२-२५ । १५२. बही, ७१४०। १५४. वहीं, ७१४०। १५६. वही, ५७१६६-६७ । १५८. वही, १०२११५२ । १६०, वही, ५२।४०, ३० । १६२. वही, ७४।३४, ८.१९६ । १६४. वही, १२।१८२। १६६. वही, ८१३५ ।
१५१. पद्मः ७।३९। १५३. वही, ७/४० । १५५. वही, ७१३९ । १५७. वही, ७४।५-६ । १५९, वही, ७४।३४ । १६१. वहीं, ५२।४० । १६३, वही, १२।१८२ । १६५. बहो, १२।१८३ ।