Book Title: Padmcharita me Pratipadit Bharatiya Sanskriti
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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सामाजिक व्यवस्था : ९३ मानुष पर्वत–मानुषोसर पर्वत । इसका मनुष्य उल्लंघन कर नहीं आ सकते।
अंजनक्षोणीधर५७८-अंजनगिरि अथवा नीलगिरि ।
ऊर्जयन्त५७५—गिरनार पर्वत । यहाँ से मिनाथ भगवान् का निर्वाण हआ था।
निकुञ्जगिरि५८०–अम्बूद्वीप का एक पर्वत । चन्दनगिरि १...-मलयदि | वंशाद्रि५८२... रामगिरि ।
तूणीति -- यहाँ से जम्यूमाली नामक मुनि अहमिन्द्र अवस्था को प्राप्त हुए थे।
हिमवान्५४- जम्न द्वीप में पूर्व से पश्चिम सक फैला एक पर्वत जो कि दोनों ओर भमुद्र को ख़ता है। ___महाहिमवान् ५–जम्बूद्वीप में पूर्व से पश्चिम तक फैला एक पर्वत जो कि दोनों ओर समुद्र को छूता है ।
निषध ६. जम्बू द्वीप में पूर्व से पश्चिम तक फैला एक पर्वत जो कि दोनों ओर समुन्न को छूता है ।
नील५८७-जम्बूद्वीप में पूर्व से पश्चिम तक फैला एक पर्वत जो कि दोनों ओर समुद्र को पता है।
रुक्मि - जम्बूद्रोप में पूर्व से पश्चिम तक फैला एक पर्चत जो कि दोनों और समुद्र को छूता है। ___शिखरी५-५-जम्बूद्रोप में पूर्व से पश्चिम तक फैला एक पर्वत जो कि दोनों ओर ममुद्र को छूता है।
इनके अतिरिक्त कुछ अन्य पर्वतों के नाम भी पारित में आये है
५७८. पप ८१९७ । ५८०, यहो, २७।१७ । ५८२. यही, ४०॥४५ । ५८४. वही, १०५।१५७ । ५८६. वही, १०५४१५७ । ५८८, वही, १०५।१५८ ।
५७९. पा. २०१५८ । ५८१. वही, ३३१३१६ । ५८३, बही, ८०।१३७ 1 ५८५, कही, १०५।१५७ 1 ५८७. वही, १०५।१५७ । ५८९, वही, १०५।१५८ ।