Book Title: Padmcharita me Pratipadit Bharatiya Sanskriti
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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सामाजिक व्यवस्था : ४१
गोधूम" गेहूँ, जिसकी उपज उत्तर पश्चिमी भारत में विशेष रूप से
होती है ।
राजभाष --एक विशेष प्रकार का उड़द जिसे हिन्दी में बटी या रौंसा कहते है ।
१३.
मुद्ग * मूंग 1 इसकी दाल बनाई जाती है। अन्य प्रकार से भी इसका उपयोग होता है ।
काशीपुर मीठ | यह मूंग की तरह प्रयोग में लाया जाने वाला खाद्यान्न है ।
जीरक १५ –जोरा । यह भोजन को रुचिकर बनाने में प्रयुक्त गर्म मसाला है ।
सूप-दाल ।
६७
माष अर्थात् उड़द । इसकी दाल बनाई जाती है ।
पायस " - खीर का व्यवहार प्राचीन काल से होता आया है । वाल्मीकि रामायण में भी इसका उल्लेख हुआ है। पद्मचरित में कोशल्या पताका शिखर पर बैठे हुए काक से कहती है-रे यायस | उड़-उड़ | यदि मेरा पुत्र राम आयगा तो मैं तुझे खीर देऊँगी । १२१वें पर्व में उत्तम गन्व रस और रूप से युक्त खीर का आहार मुनिराज को समर्पित करने का उल्लेख आया है ।" कोद्रव " ७० कोदों ।
७५
व्यंजन - 'व्यंजनं येनान्नं रुचिमापद्यते तद्दधिघृतशाक सूपादिः' अर्थात् जिन पदार्थों के मिलाने से या खाने से खाद्य पदार्थ में रुचि अथवा स्वाद उत्पन्न होता हं वे दधि, घृत, शाक और दाल आदि पदार्थ व्यंजन कहलाते हैं । पद्मचरित में पिण्ड बांधने योग्य तथा रस से भरे हुए नाना प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों का उल्लेख माया हूँ | ७२ फल भोजन
--फल भोजन के अर्न्तगत पिण्डखर्जूर,
दाडिम७४ (अनार),
६१. पद्म० १०२ १०९, २९ ।
६३. वही, २७ ।
६५. बही, २६ ।
६२. पद्म० २१८
६४. बही, २७ ।
६६. वही, ५३॥१३५ ।
६७. वही, २३८४७ ।
६८. वही, ८८५ ।
६९. वही १२१ १६, १७ ।
७०. वही, १३१६८ ।
७१. नेमिचन्द्र शास्त्री आदि पुराण में प्रतिपादित भारत ।
७३. पद्म० २।१९ ।
७२. पद्म० ५३।१३६ । ७४. वही, २।१६ ।