Book Title: Padmcharita me Pratipadit Bharatiya Sanskriti
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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७४ : पयरित और उसमें प्रतिपादित संस्कृति
वस्त्र और आभूषण किसी भी देश की संस्कृति को भली भांति समझने के लिए वहां की वेशभूषा एवं आभूषण आदि का भी ज्ञान करना परमावश्यक है। पद्मचरित में इस दृष्टि से उपयोगी सामग्री मिलती है, जिसका विवरण निम्नलिखित है--
वस्त्र-पद्मचरित में प्रसादपट ४०" (चादर), अम्भर ४०२, परिकर४०३ (कमरबन्द), उत्तरीम:०४ (दुपट्टा), अशुक ०५, पत्र" (वृक्ष के पत्ते), पल्कल ४०० (छाल के बने वस्त्र), चर्मणिवास:४०६ (चमड़े के वस्त्र), नाना चित्रों को धारण करने वाले बादली रंग के वस्त्र४०१ (मेधकाण्डानि वस्त्राणि नानाचियराणि च), कुशा के वस्त्र (कुशचीवर) ४१०, पट्टोशुक ११, कंचुक १२ (चोली), दुकूल पट,४१३ गल्लक १४ (गद्दा), उपधान १५ (तकिया), वस्त्र,४१५ स्वच्छ, लम्बे, विचित्र
और जल की सदशता को धारण करने वाले वस्त्र (स्वच्छायतविमित्रेण पय:सादृश्यधारिणा अंशुकेन),४१० कुशल शिल्पी के द्वारा रंगा वस्त्र १८ (विशिष्ट शिल्पिना रक्त वस्त्र), काषाय चाससी४११ (गेरुआ वस्त्र), लाल रंग का साफा (रक्तवस्त्रशिरस्त्राणा:४२०), कटिसूत्र ४२१ तथा पत्र चौवर४५३. आदि घस्यों जा समोस मिरता है।
अंशुक-बहस कल्पसूत्र भाष्य४५३ को टीका में इसे फोमल और चमकीला रेफामी कपड़ा कहा गया है। निशीयर में इस शब्द की लम्बी-चौड़ी व्याख्या
४०१. पद्मः १६२४० ।
४०२. पद्म० २१७, ३१२१३ । ४०३, वही, २७३१ ।
४०४. वही, ३३१९८। ४०५, वाही, ३।१९८।
४०६. वही, ३।२९६ । ४०७. वही, ६।२९६ ।
४०८. वही, श२९६ । ४०९, वही, ४०।११।
४१०. वही, ३।२९७ । ४११. बही, ३।१२२
४१२. वही, २०४६ । ४१३. वही, ७१७१ ।
४१४. वही. ७१७२। ४१५. कहो, ७१७२ ।
४१६. वही, १०२।१०३ । ४१७. वही, ७३३३३ ।
४१८. वही, ४९।४५ । ४१९, वही, ३।२९३
४२७. बही, २७।६७। ४२१. वही, २७६९ ।
४२२. वही, २७।६९। ४२३. वृहत् कल्पसूत्र भाष्य ४।३६-६१ । ४२४, निशीथ ४ पृ० ४६७ निशीप में दुकूल की कुछ और हो व्याख्या है।
दुगुल्लो रुषखो तस्स वागोघेत्तु उदूखले कुट्टएजति पाणि एण ताव भाव भूसी भूतो ताहे कमरति गुल्लो अर्थात् दुकूल वृक्ष की छाल लेकर पानी