Book Title: Padmcharita me Pratipadit Bharatiya Sanskriti
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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सामाजिक व्यवस्था : ३७ हुए आपको इसी मष में दुःख होगा। परम्सु सम्यग्दर्शन के छूट जाने पर तो भव-भष में दुःख होगा। कृतान्तवत्र सेनापत्ति सीता को छोड़कर राम के पास माकर कहता है--"सोता देवी ने कहा है कि यदि अपना हित चाहते हो तो मापने जिस प्रकार मुझे छोड़ दिया है उस प्रकार जिनेन्द्रदेव में भक्ति को नहीं छोड़ना।"१५
नारी की स्थिति
पदमचरित में प्रतिपादित पारिवारिक संगठन पितृसत्तात्मक होने पर भी समाज में नारियों की प्रतिष्ठा थी। पति के प्रत्येक कार्य में वे सहयोग दिया करती थीं। किसी प्रकार की शंका या कार्य उपस्थित होने पर पत्नी निःसंकोच पति के पास जाकर शिष्टाचारपूर्वक निवेदन करती थी। सोलह स्वप्न दिखाई देने पर मरुदेवी पति के पास जाकर मीचे आसन पर बैठी और उत्तम सिंहासन पर आरूढ़ हृदयषल्लभ को हाथ जोड़कर क्रम से स्वप्नों का निवेदन किया । १५
माता के रूप में नारी अपरिमित श्रद्धा का भाजन थी। विजयाभिगमन के अबसर पर लव और कुश माता को प्रणाम कर मंगलाचार पूर्वक घर खे निकले।" पत्नी के रूप में नारी पति को कुमार्ग में भटकने से बचाने का सदैव प्रयत्न करती थी। सीता की प्राप्ति हेतु युद्ध में प्रवृत्त रावण को समझाती हुई मम्बोदरी कहती है--"भापका यह मनोरय अत्यन्त संकट में प्रवृत्त हुआ है, इसलिए इन-इन इन्द्रिय रूपी घोड़ों को शीघ्न रोक लीजिए। आप तो विवेक रूपी सुदृढ़ लगाम को धारण करने वाले हैं। आपकी उत्कृष्ट धीरता, गम्भीरता और विचारकता उस सीता के लिए जिस कुमार्ग से गई है हे नाथ ! जान पड़ता है आप भी किसी के द्वारा उसी कुमार्ग से ले जाये जा रहे है ।"१६ पिता के घर पुत्री का लालन-पालन बड़े स्नेह से होता था। परन्तु पुत्री के यौवन अवस्था प्राप्त कर लेन पर पिता को यह चिन्ता लग जाती थी कि कन्या उसम पति को प्राप्त होगी या नहीं । २० कन्याओं की शिक्षा-दीक्षा का पूरा प्रबन्ध किया जाता पा। गन्धर्ष आदि विद्याओं में निपुण होती थीं।२१ आभूषण धारण करने की प्रथा स्त्रियों में प्रचलित पो ।२२ चंबर टोने, पाम्या बिछाने, बुहारने, पुष्प
१४. पदमः ९९।४०, ४१ 1 १६. वही, ३५१५२ । १८. वही, ७३।५१, ५२ 1 २०. वही, १५।२४ । २२. कही, ७११६, ३३१०२।
१५. पद्मः ९९॥३६ । १७. वही, १०१।३७ । १९. वही, ६४।६१। २१. वहीं, १५१२०, २४।५ ।