Book Title: Nabhak Raj Charitram Gujarati
Author(s): Merutungasuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 147
________________ सीरुतुझसूरिविरचित शीनामाकराजाचारिताम् / विवरणम:- ततः अनुत्तरविमानत: च्युत्वा स्खलित्वा समयमस्य राज्यम् समयमराज्यम् तस्मात् समयमराज्यात् पूर्वस्मिन् धवेऽधिगतसमयमराज्यप्रभावात् शुद्धम् विशुद्धम् पवित्रम् कुलम् लब्ध्वा प्राप्य केवलम् ज्ञानम् आसाद्य अधिगम्य मोक्षस्य सुखमेव सौख्यम् मोक्षसौख्यम् अव्याबाधसुखमवाप प्राप्नोत।।१०८॥ सरलार्थ:- ततोऽनुत्तरविमानत: च्युत्वा सम्यमप्रभावात् विशुब्दम् कुलम् लब्ध्वा केवलम् ज्ञानमासाय सः मोक्षसुखमवाप / / 108 // ગુજરાતી:- લાંથી આવીને પૂર્વ ભવમાં પ્રાપ્ત કરેલા શ્રેઝ ચારિત્રરૂપ રાજ્યના બળથી ઉત્તમ કુળ પામીને કેવલજ્ઞાન પ્રાપ્ત કરી મોક્ષે हिन्दी :- वहाँ से आयुष्य पूर्ण करके पूर्वभव में प्राप्त किये हुए श्रेष्ठ चारित्र्यरुपी राज्य के बल से उत्तम कुल में जनम लेकर केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष में गए।१०८।। मराठी :- तेन च्युत होऊन, पूर्वजन्मांत प्राप्त केलेल्या श्रेष्ठ चारित्रस्वरूपी राज्याच्या बळामुळे उत्तम कुळात जन्म घेऊन केवल ... ज्ञान प्राप्त करून मोक्षांत गेला.।।१०८।। English - After having consumated his life-time there in heaven he was born in an illustrious family, because of his past character that excelled beyond limits and due to which he procured a kingdom. And when he had consumated his age here he attained supreme knowledge and in due course obtained kevalgyan. इतश्च तामलिप्त्याम्स, सिम्ह: श्रुत्वा स्वबान्धवम्।। राज्ञा विसृष्टम् सत्कृत्य, यात्रार्थम् सत्यभाषणात्॥१०९॥ निजाऽग:शकया सर्वमादाय सपरिच्छदः॥ जगाम सिम्हलद्वीपम्, पोतमारुह्य तत्क्षणात्॥११०॥ अन्धयः- इत: तामलिप्त्याम् स: सिम्ह: स्वबान्धवम् सत्यभाषणात् सत्कृत्य राज्ञा यात्रार्थम् विसृष्टम् श्रुत्वा * // 109 // निजागःशङ्कया सपरिच्छद: सर्वमादाय पोतम् आरुह्य तत्क्षणात् सिम्हलद्वीपम् जगाम / / 110 // KEEEEEEEEEEEEER PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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