Book Title: Nabhak Raj Charitram Gujarati
Author(s): Merutungasuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 249
________________ * भीमरुतुनरिविरचित श्रीनाभाकराजाचरितम् E NTER विवरणमः- तत: तदनन्तरं शेषश्चासौ अध्वा च शेषाध्वा। अतिक्रान्त: शेषाध्वा येन स: अतिक्रान्तशेषाध्वा / शेषमार्गमतिक्रान्त: नृपः गुरुं पुरस्कृत्य पुरतः कृत्वा मुक्त्यै मोक्षाय प्रस्थानं साधयन् इव गिरिं श्रीशत्रुञ्जयगिरिं चटन् आरोहनेजे शुशुभे // 21 // सरलार्थ:- तदनन्तरम् अवशिष्टं मार्गमतिक्रान्त: नृपः नाभाक: गुरुं पुरस्कृत्य मुक्त्यै प्रस्थानं साधयन इव शत्रुअवगिरिम् आरोहन शुशुभे // 219 // ગુજરાતી - ત્યાર પછી બાકીનો માર્ગ પાર કરી, ગુરુમહારાજને આગળ કરી જાણે મુક્તિને માટે પ્રસ્થાન કરવું હોય તેવી રીતે શત્રુંજય ઉપર ચડતો રાજા શોભવા લાગ્યો..૨૧૯ हिन्दी :- फिर शेष मार्ग चलकर. महाराज को आगे कर, शचुंजय पर्वत पर चढता हुआ वह राजा ऐसे शोभायमान हो रहा था जैसे मुक्ति के लिये प्रस्थान कर रहा हो।।२१९॥ ठी :- नंतर उरलेला रस्ता पार करून, गुरुमहाराजांना पुढे करून, शत्रुजय पर्वतावर चढतांना तो राजा असा शोभू लागला की जसे मुक्तीसाठी प्रस्थान करीत आहे. English - Then when they had reached close to their destination, the King requesting the monk to walk ahead of all, now began climbing the mount. He now shone with such radiance and magnificance, as he walked up, which seemed as though he is about to walk into the final Salvation. प्रासाददर्शने पूर्व-मपूर्वोत्सवपूर्वकम् // याचकेभ्यो दददानं, कल्पवृक्षायते स्म सः॥२२०॥ य:- पूर्व प्रासाददर्शन अपूर्वोत्सवपूर्वकं याचकेभ्य: दानं ददत् स: कल्पवृक्षायते स्म // 220 // HLEE205RNER Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.

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