Book Title: Nabhak Raj Charitram Gujarati
Author(s): Merutungasuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 265
________________ श्रीमेरुतुङ्गशिविरचित शीनामाकराजाचरितम् ENTENT . एतद्विशेषलाभाया-दिदिशे गुरुणा तदा।। अन्यथा केवलिप्रश्नात् पूर्वविद् बुध्यतेऽखिलम् // 237 // . अन्वयः तदा गुरुणा एतद्विशेषलाभाय आदिदिशे। अन्यथा पूर्वविद् केवलिप्रश्नात् अखिलं बुध्यते॥२३७॥ विवरणम्:- तदा तस्मिन् समये गुरुणा श्रीयुगन्धरसूरिणा विशेषश्चासौ लाभश्च विशेषलाभः। एतस्य नाभाकस्य विशेषलाभ: एतद्विशेषलाभ: तस्मै एतद्विशेषलाभाय नाभकस्य विशेषलाभाय आदिदिशे। अन्यथा पूर्वाणि वेत्तीति पूर्वविद् चतुर्दशपूर्वज्ञानवान् केवलिन: प्रश्न: केवलिप्रश्नः तस्मात् केवलिप्रश्नात् केवलिनं पृष्ठा अखिलं सर्व बुध्यते जानाति // 237 // सरलार्य:- तदा श्रीयुगन्धरगुरुणा नृपस्य विशेषलाभाव तथा आदिदिशे। अन्यथा पूर्वविद केवलज्ञानिनं पृष्ट्वा सर्व जानीते।।२३७|| ગુજરાતી:-તે વખતે નાભાક રાજાના વિશેષ લાભ માટે યુગંધરસૂરિએ ઉપર પ્રમાણે કહ્યું, નહીંતર ચૌદપૂર્વના જાણકાર તો કેવલી ભગવાનને પૂછવાથી સર્વ વાત જાણી શકે છે. 23aaaa हिन्दी:- उस समय नामाक राजा के विशेष लाभ के लिये ही श्री युगन्धरस्वामी ने उस को इस प्रकार कहा, अन्यथा चौदह पूर्व के ज्ञानी तो केवली भगवान को पूछने से ही सब बात जान लेते है।।२३७॥" मराठी:- त्या वेळी नाभाक राजाला विशेष लाभ व्हावा, म्हणूनच श्री युगन्धर स्वामीने त्याला वर लिहिलेले सांगितले. नाहीतर चौदापूर्वांचे ज्ञान असलेला केवली भगवंताला विचारल्या शिवायही सर्व जाणतो.।।२३७|| English:- In order that King Nabhak gets the maximum fruit out of his visit, the rev monk Yugandhar said that he should question a man who is well conversant with the fourteen Purve religious books, who in turn can question the Lord who is entitled to obtain Salvation. REATER 221EETTER P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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