Book Title: Nabhak Raj Charitram Gujarati
Author(s): Merutungasuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 258
________________ श्रीमलतुङ्गस्त्रिविरणित शीनामाकराणाचरितम् ગુજરાતી:-તારબાદ માગીશમા દિવસે નમસ્કારનું સ્મરણ કરતાં કરતાં જ થોડી નિદ્રા લીધી. નિદ્રામાં એક સ્વપ્ન જોયું કે, // 228 // पुरे हिन्दी :- उसके बाद उनतीसवे दिन रातको नमस्कार का स्मरण करते करते उसे मामुली सी झपकी लग गयी उतने में उसने ऐसा स्वप्न देखा कि,॥२२९॥ मराठी :- नंतर एकोणतिसाव्या दिवशी तो राजा रात्री नमस्कार मंत्राचे स्मरण करीत असता अर्य झोपेंतच त्याने एक स्वप्न पाहिले।।२२९॥ English :- Then on the nineteenth day, of his fast, as he was meditating on the Navkar Mantra, he fell off into a light doze, in which he had a dream. क्वाऽपि स्फटिकशैलेऽहं, सोपाने प्रथमे स्थितः॥ केनाप्यतीव वृद्धेन, कृशेन लोठित: परम् // 230 // प्राप्तो द्वितीयं सोपानं तृतीयं च गतस्ततः॥ शैलशृङ्गमथारुह्य, मुक्तराशौ निविष्टवान् // 231 // अन्वय: काऽपि स्फटिकशैले प्रथमे सोपाने स्थित: अहं केनापि कृशेन अतिवृद्धेन लोठित: परम् // 230 // द्वितीयसोपानं प्राप्तः। तत: तृतीयं गतः। अथ शैलशृङ्गम्आरुह्य मुक्तराशौ निविष्टवान् // 23 // विवरणम:- कापि कस्मिन्नपि स्फटिकानां शैल: पर्वत: स्फटिकशैलः तस्मिन् स्फटिकशैले स्फटिकपर्वते प्रथमे सोपाने स्थित: आई केनापि कृशेन कृशशरीरेण अतिशयेन वृद्ध: अतिवृद्धः तेन अतिवृद्धेन पुरुषेण लोठितः। परं परन्तु॥२३०॥ अधोगमनं विना द्वितीयं सोपानं प्राप्तः। तत: तृतीयं सोपानं गतः। एवं व्युत्क्रमेण शैलस्य शृङ्गं शैलशृङ्ख पर्वतशिखरमाला आहे मुक्तानां मोक्षं गतानां राशि: मुक्तराशि: तस्मिन् मुक्तराशौ मोक्षंगतानां पङ्क्तौ निविष्टवान् उपविष्टवान् // 23 //

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