Book Title: Nabhak Raj Charitram Gujarati
Author(s): Merutungasuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust
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________________ | श्रीमेकतुजसूरिविरचित श्रीनामाकराजाचरितम् L हिन्दी :- उस पारसीक देश में उसके ही लहु से कपडे रंगे जाते थे। इस तरह बड़ी मुसीबत में फसा हुआ वह सोम एक दिन मौका पाकर (देखकर) वहाँ से भाग निकला। समुद्र पार कर के रास्ते से जाते हुए उसको कोई गांव दिखाई दिया गाँव में प्रवेश करते ही उसने सामने से आते हुए एक मास के उपवास किये हुए मुनि को देखा और उस पापीने लकडी से तीन बार प्रहार कर के उन्हे जमीन पर गिरा दिया||१४३|| मराठी:- पारसीद देशांत तर त्याच्याच रक्तांने वस्त्र रंगले जात होते अशा भयंकर अडचणीत सापडलेला तो सोम एकेदिवशी संथि पाह्न तेथून पळाला. समुद्र पार करून रस्त्याने जातांना त्याला एक गांव दिसले. गावात प्रवेश करताच त्याला समोरून येणारे एक महिन्याचे उपवास करणारे एक मुनी दिसले. आणि त्या पाप्याने काठीच्या साहाय्याने तीन वेळा प्रहार करून त्वा मुनीला जमिनीवर पाडले.।।१४।। Engligh:- In the kingdom of Prussia, he was so badly ill-treated, that his clothes used to be drenched with his own blood, One day Soam who was in such a disastrous agony, ran away when he had a wonderful opportunity. He crossed the ocean and reached a shore. He walked about until he came across a village, where he seen a monk who had fasted for a month coming towards him. Soam who had a cruel and a sinful heart, hit him thrice on his head and struck him dead, with a stick. . तस्मिन्नथ विपन्नेऽसौ, नश्यनारक्षकभृतः॥ - कृपया मोचित: श्राद्धैः, पलाय्यं कृतवानथ // 14 // अन्वयः- अथ तस्मिन् विपन्ने सति असौ नश्यन् आरक्षकैः धृतः श्रादैः कृपया मोचितः पलाय्यां कृतवान् / विवरणम्:- अथ अनन्तरं तस्मिन् मुनौ विपन्ने मृते सति नश्यन् पलायमान: असौ आ समन्तात् रक्षन्तीति आरक्षकाः, तै: आरक्षकैः की रक्षकपुरुषैः धृतः। परं श्राद्धः श्रावकैः कृपया वयया मोचितः। तत:स: पलायनं कृतवाना पलाय्य क्नंगतवान् // 14 // P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust