Book Title: Nabhak Raj Charitram Gujarati
Author(s): Merutungasuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 226
________________ R EAKER मिलतुझसूरिविरचित श्रीवाभाकराणायरितम् HREE English :- Therefore, in this way Bhanu who had taken the vow of non-violence and attained utmost bliss by serving the monk whole heratedly, had thus achieved benign and propitious merits He then becarlle popular among the people as a tender-hearted as a bolteus man He then earned his livelihood from hence fourth, in virtuous and prudent ways प्रान्ते मृत्वा दानपुण्याद्, राजन्! राजा भवानभूत्।। / शुद्धजीवदयापुण्याद, रूपनिर्जितगन्मथ: // 19 // अन्वयः- प्रान्ते मृत्वा दानपुण्यात् हे राजन्! भवान् राजा अभूत्। शुद्धजीवदयापुण्यात् च रूपनिर्जितमभन्मथः अभूत्।।१९५॥ विवरणम्:- प्रान्ते आयुष: अवसाने मृत्वा मरणं प्राप्य स: भानु: दानेन पुण्यं दानपुण्यं तस्मात् दानपुण्यात हे राजन। भवान् नाभाक: राजा अभूत्। शुद्धया जीवदयया यत्पुण्यं तस्मात् पुण्यात् भवान् रूपेण सौन्दर्येण निर्जित: मन्मथ: मदन: येन सः रूपनिर्जितमन्मथ: सौन्दर्यावधीरितमदन: अभूत् // 19 // सरलार्थ:- आयुषि समासे मृत्वा स भानुः हे राजन। दानपुण्यात् भवद्रूपेण (नाभाकरूपेण) राजा अभूत। शुब्दजीवदयापुण्यात् च मदनातिशाविरूपवान अभूत् / / 195|| ગુજરાતી:- હે રાજન આયુષ્ય પૂર્ણ થતાં ભાનુ મરણ પામી, મુનિરાજને દાન આપવાના પુણવથી નાણાક નામનો તું રાજા થયો છે, અને શુદ્ધ જીવદયા પાળી ઉપાર્જન કરેલા પુણયથી કામદેવ કરતાં પણ તેને અધિક રૂપે પ્રાપ્ત થયું છે.૧૯પા न्दी :- "हे राजन्। आयुष्य पूर्ण कर के भानु को मृत्यु प्राप्त हुआ। मुनिराज को दान देकर जो पुण्य उपार्जित किया था उसके कारण इस जन्म में तू नाभाक नाम का राजा हुआ है। शुद्ध दया पालन कर के उपार्जित किये पुण्य से अधिक रूप तुझे प्राप्त हुआ है।"||१९५॥ मराठी :- "हे महाराजा आयुष्य संपल्यानंतर तो भानु मृत्यु पावला. मुनिराजांना दान देण्याच्या पुण्याने या जन्मात त् नाभ नावाचा राजा बनलास. शुद्ध दयेचे पालन करण्याने कामदेवावर सुब्दा मात करणारे रूप प्राप्त झाले.।।१९५|| ALTERRRRRRRRRENA

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