Book Title: Nabhak Raj Charitram Gujarati
Author(s): Merutungasuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 243
________________ श्रीमेकतुजसूरिविरचित श्रीनामाकराजाचरितम् | मत्वैवमेकचित्त: स-नादिदेवस्मृतौ नृपः॥ उपशत्रुअयं प्रापा-ऽनवच्छिन्नप्रयाणकैः // 21 // अन्यय:- एवं मत्वा नृपः आदिदेवस्मृतौ एकचित्त: सन् अनवच्छिन्नप्रयाणकै: उपशत्रुक्षयं प्राप // 213 // विवरणमः- एवंगुरोर्वचनं मत्वानप: नाभाक: आदिश्चासौदेवश्च आदिदेवः। आदिदेवस्य स्मति: आविवेवस्मृतिः, तस्याम आविदेवस्मृती भगवत: श्रीऋषभदेवस्य ध्याने एकंचित्तं यस्य सः एकचित्त: एकाग्रमना: सन्नअवच्छिन्नानि अनवच्छिन्नानि अखण्डानि अनवच्छिनानिचतानि प्रयाणकानिच अनवंच्छिन्नप्रयाणकानि, तै: अनवच्छिन्नप्रयाणकै: अखण्डितप्रयाणैः शत्रुञ्जयस्य समीपे उपशत्रुक्षयं प्राप आजगाम // 213 // सरलार्य:- एवं गुरोर्वचनं मत्वा नृपः श्रीऋषभदेवस्व प्याने एकचित्तः सन् अखण्डप्रवाणैः शत्रुअवसमीपं प्राप आजगाम // 21 // ગુજરાતી:- આ પ્રમાણે ગુરુ મહારાજનું વચન હદયમાં ધરીને શ્રીમાન આદીશ્વર પ્રભુના ધ્યાનમાં એકાગ મનવાળોનાભાક રાજ અખલિત પ્રયાણથી શ્રી શત્રુંજય પર્વત પાસે પહોંચ્યો. 213 हिन्दी :- इस तरह गुरु महाराज का वचन हृदय में धारण कर श्रीमान आदीश्वर प्रभु के ध्यान में एकाग्र मन से लीन होकर वह नाभाकराजा निरन्तर प्रयाण कर के शत्रुजय पर्वत के पास आ पहुंचा।।२१३॥ मराठी:- याप्रमाणे गुरुमहाराजांचे वचन हृदयात ठेवून, श्रीमान आदीश्वर प्रभुंच्या प्यानामध्ये तल्लीन होऊन तो नाभाकराजा अस्खलित प्रवाणानें शत्रुजय पर्वताजवळ येऊन पोहोचला.॥२१॥ English :- Having retained the religious aphorisms of the rev priest in his heart, King Nabhak began his earnest feelings of meditation on Lord Aadishwar and then set off for the mount without wasting any more time. He reached the mount in due-course. PARTIENTREPRENER Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.

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