Book Title: Nabhak Raj Charitram Gujarati
Author(s): Merutungasuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust
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________________ * भीमेरुतुजशिविरचित भीनामाकराणायरितम् FEEEEXY हिन्दी :- इस सिंह के जीव ने बारह हजार सोनामोहरों का देवद्रव्य का विनाश किया था, उस कर्म के शेष से उतनी बार नीच भव में उत्पन्न हुआ है।।१७७|| मराठी:- या सिंहाच्या जीवाने बारा हजार सोना मोहरारुपी देवद्रव्याचा विनाश केला होता. त्या कर्माच्या शेषाने तो तितक्याच वेळी नीच योनीमध्ये उत्पन्न झाला आहे.।। 177 / / English :- The soul of sihe had utilized twelve thousand gold coins of God's wealth, for which he had born that many times in the animal world, as a low being. प्रतिजन्माऽद्रिशृङ्गेऽस्मिन् कर्मकार्यकृते सदा।। चटनाभ्यासतोऽत्राद्री स्वयमेव चटत्यसौ // 178 // अन्वय:- प्रतिजन्म अस्मिन् अद्रिशृङ्गे कर्मकार्यकृते सदा चटनाभ्यासात् अत्रं अद्रौ असौ स्वयमेव चटति॥१७८॥ विवरणम्:- जन्मनिजन्मनि प्रतिजन्मअस्मिन् अद्रेःशृङ्गम् अद्रिशृङ्गं तस्मिन् अद्रिशृङ्गे पर्वतशिखरे कर्मण: व्यवहारस्य कार्यकर्मकार्यमा कर्मकार्यस्य कृते कर्मकार्यकृते व्यवहारस्य कार्यकरणाय सदा निरन्तरं चटनस्याभ्यास: चटनाभ्यास: तस्मात् चटनाभ्यासत: आरोहणाभ्यासात् अत्र अस्मिन् अद्रौ असौ स्वयमेव चटति आरोहति // 178 // सरलार्थ:- प्रतिजन्म अस्मिन् अद्रिशृङ्ग्रे व्यवसावकृते सदा आरोहणाभ्यासात् असौ अस्मिन् पर्वतशिखरे स्वयमेव आरोहति / / 178 // ગુજરાતી:- દરેક જન્મમાં આ પર્વતના શિખર ઉપર વૈતરું કરવા માટે હમેશાં ચડવાના અભ્યાસથી આ ભવમાં પણ આ ગધેડો ઉપર પોતાની મેળે ચઢી જાય છે. 178 हिन्दी :- प्रत्येक जन्म में इस पर्वत के शिखर ऊपर हमेशा बोजा लेकर चढने के अभ्यास से इस भवमें भी यह गधा इस पर्वत पर अपने आप चढ जाता है।।१७८॥ 'मराठी :- प्रति जन्मांत त्या पर्वताच्या शिखरावर वजन येऊन चढण्याच्या अभ्यासामुळे या जन्मात सुब्दा हा गाढव पर्वतावर स्वयं चन जातो.।। 178 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradhak Trust